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अमीर ख़ुसरौ
1253 - 1325
अमीर ख़ुसरो
नेशनल अमीर ख़ुसरो सोसाइटी, नई दिल्ली
ख़ुसरौ काकोरवी
1883 - 1935
अमीर मीनाई
1829 - 1900
उमर वारसी
अमर पाल
अमीर बख़श साबरी
गोवर्धन प्रशाद अमीर
अमीर रफ़ी शाह अमीरुल्लाह
उमर लईक़ हुसैनी
अमीर हमज़ा निज़ामी
उमैर हुसामी
ख्वाजा अमीर हसन सिजज़ी देहलवी
1242 - 1325
हलवाई और पायजामे में क्या निस्बत हैकंदा
कपड़े और दरिया में क्या निस्बत हैपाट
अँगरखे और पेड़ में क्या निस्बत हैकली
धूप लगे वो पैदा होय छाँव देख मुरझाएऐ री सखी मैं तुझ से पूछूँ हवा लगे मर जाए
डाला था सब को मन भाया टाँग उठा कर खेल बनायाकमर पकड़ के दिया ढकेल जब होवे वो पूरा खेल
बेहतरीन उर्दू शेर पढ़ें | हिन्दी शायरी एमपी3 शेर-ओ-शायरी शेर और दो लाइनों की शायरी हिंदी उर्दू और रोमन में सुनें। इस मशहूर शायरी को भी अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें।
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Ameer Khusro
वहीद मिर्ज़ा
1949जीवनी
Hayat-e-Hazrat Ameer Khusro
नक़ी मोहम्मद ख़ान ख़ूरजवी
1956जीवनी
Deewan-e-Kamil Ameer Khusro Dehlvi
शाइरी
2006सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Ameer Khusrau
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
शैख़ सलीम अहमद
1975जीवनी
Kulliyat-e-Hindavi Ameer Khusro
गोपी चंद नारंग
2017सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Sufi Ameer Khusrau
सय्यद सबाहुद्दीन अब्दुर्रहमान
1992जीवनी
अली अब्बास हुसैनी
1968सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Khamsa Ameer Khusro Dehlvi
अननोन ऑथर
1923
Hazrat Ameer Khusro Aur Tonk
शौकत अली ख़ान
1981जीवनी
Amir Khusrau
मौलाना फ़ख़रुद्दीन अहमद
Hazrat Ameer Khusro Ka Ilm-e-Mauseeqi
रशीद मलिक
1975सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Hazrat Ameer Khusro Ka Ilm-e-Mausiqi
Ameer Khusro Ki Jamaliyat
शकीलुर्रहमान
1999सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
गोटे और आफ़्ताब में क्या निस्बत हैकिरन
मकान और अनाज में क्या निस्बत हैकंगनी
आना-जाना उस का भाएजिस घर जाए लकड़ी खाए
चालीस मन की नार रखावे सूखी जैसी तीलीकहने को पर्दे की बेली पर वो रंग-रंगीली
अपनी छवि बनाय के जो मैं पी के पास गईजब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई
दामन और अँगरखे में क्या निस्बत हैपर्दा
हाथ में लीजे देखा कीजै
श्याम बरन औ दाँत अनेक लचकत जैसी नारीदोनों हाथ से 'ख़ुसरव' खींचे और कहें तू आरी
दानाई से दाँत उस पे लगाता नहीं कोईसब उस को भुनाते हैं पे खाता नहीं कोई
नई की ढीली पुरानी की तंगबूझो तो बूझो नहीं चलो मेरे संग
बंदूक़ और कुएँ में क्या निस्बत हैकोठी
मिला रहे तो नर रहे अलग होय तो नारसोने का सा रंग है कोई चतेरा करे विचार
आगे आगे बहिना आई पीछे पीछे भइयादाँत निकारे बाबा आये बुर्क़ा ओढ़े मइया
एक तरुवर का फल है तर पहले नारी पीछे नरवा फल की ये देखो चाल बाहर खाल औ भीतर बाल
बादशाह और मुर्ग़े में क्या निस्बत हैताज
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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